- नई दिल्ली। उम्र बढ़ने के साथ स्मृति की कमजोरी, सोचने में दिक्कत, निर्णय लेने में हिचकिचाहट जैसी समस्याएं आम हो जाती हैं। लेकिन जब ये लक्षण नियमित रूप से सामने आने लगें, तो ये डिमेंशिया (Dementia) की ओर इशारा करते हैं। अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (AIIMS) गोरखपुर द्वारा किए गए एक हालिया अध्ययन में डिमेंशिया को लेकर चौंकाने वाले तथ्य सामने आए हैं—60 साल से ऊपर के 70% बुजुर्ग इस बीमारी की चपेट में हैं।
-
- यह अध्ययन भारतीय चिकित्सा अनुसंधान परिषद (ICMR) के साथ मिलकर किया गया और इसका मकसद था भारत में डिमेंशिया को जड़ से खत्म करने की दिशा में ठोस कदम उठाना।
-
- क्या कहती है यह स्टडी?
-
- AIIMS गोरखपुर ने उत्तर प्रदेश के सात विकासखंडों में डिमेंशिया को लेकर एक व्यापक सर्वे किया, जिसमें कुल 1013 वरिष्ठ नागरिकों को शामिल किया गया। इनमें से:
-
- 709 बुजुर्ग डिमेंशिया से ग्रस्त पाए गए
- 416 पुरुषों में स्मृति कमजोर थी
- 293 महिलाएं डिमेंशिया से प्रभावित थीं
-
- सभी प्रतिभागियों में एक बात सामान्य पाई गई—बांहें पतली थीं और पेट/कमर के आसपास अतिरिक्त चर्बी जमा थी। इसके साथ ही उनकी निर्णय क्षमता, याददाश्त और भाषा पर पकड़ कमजोर हो चुकी थी।
-
- पतली बांह और पेट की चर्बी: चेतावनी का संकेत!
-
- इस शोध के अनुसार, डिमेंशिया केवल उम्र बढ़ने की वजह से नहीं होता, बल्कि शरीर में मोटापा और कुपोषण भी इसकी जड़ में हो सकते हैं। जिन बुजुर्गों की मिड-अपर आर्म सर्कमफेरेंस (बांह के मध्य भाग का घेरा) पतला था, उनमें स्मृति हानि और भाषा दोष देखने को मिला। वहीं, जिनकी कमर पर फैट ज्यादा था, उनके सोचने की क्षमता और निर्णय शक्ति पर भी असर पड़ा।
-
- केंद्रीय मोटापा (Central Obesity) यानी पेट और कमर के चारों ओर की चर्बी न केवल शारीरिक बीमारियों, बल्कि मानसिक विकारों का भी संकेत देती है।
-
- रिसर्च का दूसरा चरण जल्द शुरू
-
- AIIMS और ICMR अब इस अध्ययन के दूसरे चरण की शुरुआत कर रहे हैं, जिसमें 40 से 60 वर्ष आयु वर्ग के नागरिकों को शामिल किया जाएगा। योजना है कि महानगर के 30 हेल्थ एंड वेलनेस सेंटरों को तीन श्रेणियों में बांटा जाए:
-
- सक्रिय समूह – सप्ताह में 4 दिन योग, व्यायाम, संगीत के जरिए शारीरिक गतिविधियाँ कराई जाएंगी और पोषण संबंधी जानकारी दी जाएगी।
- सूचना समूह – सिर्फ जागरूकता फैलाई जाएगी, लेकिन कोई फिजिकल एक्टिविटी नहीं कराई जाएगी।
- स्वतंत्र समूह – सेंटर पर बुलाया जाएगा लेकिन कोई निर्देश नहीं दिया जाएगा, व्यक्ति अपनी मर्ज़ी से गतिविधियाँ करेगा।
-
- सही पोषण और व्यायाम है बुढ़ापे में दिमागी शक्ति का रक्षक
-
- डॉ. यू वेंकटेश, अध्ययन के प्रमुख और एम्स गोरखपुर के कम्युनिटी मेडिसिन विभाग में असिस्टेंट प्रोफेसर, का कहना है:
- “अगर समय रहते कुपोषण या पेट के आसपास जमा चर्बी को नियंत्रित किया जाए, तो बुढ़ापे में डिमेंशिया से काफी हद तक बचा जा सकता है। यह अध्ययन बुजुर्गों के मानसिक स्वास्थ्य को सुधारने में अहम भूमिका निभाएगा।”
- डिमेंशिया के लक्षण – कब सतर्क होना ज़रूरी है?
-
- यदि आप या आपके किसी प्रियजन में नीचे दिए गए लक्षण नजर आ रहे हैं, तो डॉक्टर से सलाह लेना बिल्कुल भी टालें नहीं:
- नए-नए घटनाक्रम को भूलना
- चीज़ों को रखकर भूल जाना
- परिचित लोगों के नाम याद न आना
- सोचने और ध्यान केंद्रित करने में परेशानी
- जटिल कामों को न समझ पाना
- निर्णय लेने या योजना बनाने में अड़चन
- बोलने में शब्द ढूँढने की दिक्कत या दूसरों की बात न समझ पाना
-
- क्या किया जा सकता है बचाव के लिए?
-
- नियमित शारीरिक गतिविधि जैसे योग और वॉक
- पोषण से भरपूर, संतुलित आहार
- नियमित स्वास्थ्य जांच, खासकर ब्लड प्रेशर, शुगर और कोलेस्ट्रॉल की
- मानसिक सक्रियता बनाए रखें – किताबें पढ़ें, पज़ल्स खेलें, नया सीखें
- सामाजिक संपर्क बनाए रखें – दोस्तों और परिवार के साथ जुड़े रहें
- तनाव से बचें, मेडिटेशन करें और पर्याप्त नींद लें
-
- डिमेंशिया सिर्फ एक उम्र से जुड़ी समस्या नहीं है, बल्कि यह आपके जीवनशैली और शारीरिक आदतों से गहराई से जुड़ा है। AIIMS गोरखपुर की यह स्टडी साबित करती है कि यदि समय रहते शरीर के संकेतों को पहचाना जाए और पोषण व व्यायाम को दिनचर्या में शामिल किया जाए, तो इस बीमारी से काफी हद तक बचा जा सकता है।