img

पूर्व राष्ट्रपति और भारत रत्न डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम की पुण्यतिथि के अवसर पर, शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव डॉ. एस. सिद्धार्थ ने बिहार के शिक्षक समुदाय के लिए एक प्रेरणादायक संदेश जारी किया है। उन्होंने इस अवसर को केवल श्रद्धांजलि तक सीमित न रखकर, इसे आत्मचिंतन और उद्देश्यपूर्ण शिक्षा का दिन बताया। उन्होंने अपने पत्र में शिक्षकों से अपील की है कि वे विद्यार्थियों को सिर्फ विषय की जानकारी न दें, बल्कि उनके भीतर जिज्ञासा, कल्पना और सपनों की उड़ान भरने की क्षमता को भी विकसित करें।

हर विद्यार्थी में बसता है कल का राष्ट्रपति, वैज्ञानिक और मार्गदर्शक

डॉ. सिद्धार्थ ने अपने संदेश में कहा, "आज के बच्चे ही कल के वैज्ञानिक, नीति-निर्माता, मिसाइल मैन और यहां तक कि भविष्य के राष्ट्रपति बन सकते हैं — यदि उन्हें एक संवेदनशील, प्रेरणादायक और सकारात्मक शिक्षक का साथ मिल जाए।" उन्होंने स्पष्ट रूप से दर्शाया कि शिक्षकों की भूमिका केवल शैक्षणिक ज्ञान देने तक सीमित नहीं, बल्कि यह भी जरूरी है कि वे बच्चों के चरित्र, दृष्टिकोण और मूल्य आधारित व्यक्तित्व का निर्माण करें।

डॉ. कलाम का जीवन: शिक्षकों के लिए एक आदर्श प्रतीक

डॉ. ए.पी.जे. अब्दुल कलाम के जीवन का उल्लेख करते हुए डॉ. सिद्धार्थ ने लिखा, "कलाम साहब हमेशा खुद को एक शिक्षक के रूप में याद किए जाने की इच्छा रखते थे। उन्होंने कहा था कि अगर लोग उन्हें शिक्षक कहें, तो यह उनके लिए सबसे बड़ा सम्मान होगा।"

वे हमेशा शिक्षण को एक पवित्र कार्य मानते थे, जो न केवल बुद्धि को बल्कि आत्मा को भी आकार देता है। वे जब भी छात्रों से मिलते थे, उनके सपनों के बारे में पूछते थे और चाहते थे कि शिक्षक सिर्फ पाठ न पढ़ाएं, बल्कि राष्ट्र की आत्मा को आकार देने का काम करें।

बिहार: एक बार फिर बनेगा ज्ञान और संस्कृति की धुरी

अपने संदेश में डॉ. सिद्धार्थ ने यह भी कहा कि बिहार ऐतिहासिक रूप से ज्ञान और संस्कृति का केंद्र रहा है। नालंदा और विक्रमशिला जैसे विश्वविख्यात विश्वविद्यालयों ने अतीत में दुनिया को शिक्षा दी थी। आज भी यह संभावना जीवित है — यदि हर शिक्षक खुद को एक 'राष्ट्र निर्माता' की भूमिका में देखे और उस दृष्टिकोण के साथ कार्य करे।

उन्होंने यह भी बताया कि शिक्षा की गुणवत्ता सुधारने के लिए अनेक योजनाएं और प्रयास चल रहे हैं, जिससे बिहार को एक बार फिर ज्ञान की भूमि के रूप में स्थापित किया जा सके।

शिक्षकों से विशेष आग्रह

डॉ. सिद्धार्थ ने शिक्षकों से निवेदन किया कि वे अपने विद्यार्थियों के मन में कल्पना की शक्ति, जिज्ञासा की चिंगारी और सपनों को साकार करने की ललक को जगाएं। उन्होंने कहा, "आपका हर छात्र एक संभावित कलाम है — जरूरत है उसे समझने, संवारने और प्रोत्साहित करने की।"

उन्होंने अंत में यह भी लिखा कि आज का दिन हमें याद दिलाता है कि शिक्षक राष्ट्र की आत्मा के निर्माता होते हैं। यही वह पेशा है जो आने वाली पीढ़ियों के विचारों, संस्कारों और कर्तव्यों को आकार देता है।