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  • नई दिल्ली। अगर आप YouTube पर AI की मदद से वीडियो बनाकर कमाई कर रहे हैं या ऐसा करने की योजना बना रहे हैं, तो यह अपडेट आपके लिए बेहद जरूरी है। 15 जुलाई 2024 से YouTube ने अपनी मोनेटाइजेशन पॉलिसी में बड़ा बदलाव किया है।
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  • अब YouTube ऐसे कंटेंट को तरजीह देगा जो ऑरिजनल और मेहनत से तैयार किया गया हो। वहीं, रिपीटेड, स्पैमी या मास प्रोड्यूस्ड वीडियो से जुड़े चैनल्स के लिए परेशानी बढ़ सकती है।
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  • YouTube की नई नीति: क्या है फोकस?
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  • YouTube का स्पष्ट संदेश है:
  • “हम सिर्फ उन क्रिएटर्स को मोनेटाइजेशन की सुविधा देंगे जो सच्चे, ऑथेंटिक और यूनिक कंटेंट तैयार कर रहे हैं।”
  • मास प्रोड्यूस्ड वीडियो, जैसे एक जैसे स्लाइड शो, बिना वैरिएशन के वीओ कंटेंट, या ऑटोमैटिकली जनरेटेड टेम्प्लेट्स—अब मोनेटाइजेशन के योग्य नहीं माने जाएंगे।
  • यूज़र्स को जो कंटेंट स्पैम जैसा या दोहराव वाला लगेगा, वह प्लेटफॉर्म से हटाया या डिमोनेटाइज किया जा सकता है।
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  • किन कंटेंट पर पड़ेगा सीधा असर?
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  • YouTube ने निम्नलिखित प्रकार के कंटेंट को इनऑथेंटिक और मास प्रोड्यूस्ड की श्रेणी में रखा है:
  • बैकग्राउंड बदलकर बार-बार एक ही स्क्रिप्ट का वीडियो
  • सिर्फ स्लाइड शो और टेक्स्ट बेस्ड वीडियो, जिनमें जानकारी में कोई विविधता नहीं
  • Low-effort ऑटोमेटेड वीडियो, जिनमें नरेटिव या विजुअल में कोई खास काम नहीं किया गया
  • अगर आपका चैनल ऐसे कंटेंट पर आधारित है, तो मोनेटाइजेशन पर प्रभाव पड़ सकता है।
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  • क्या Reused Content की पॉलिसी बदली है?
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  • नहीं। YouTube ने साफ कर दिया है कि Reused Content पॉलिसी में कोई बदलाव नहीं किया गया है। आप अभी भी निम्नलिखित प्रकार के कंटेंट मोनेटाइज कर सकते हैं:
  • रिएक्शन वीडियो
  • कमेंट्री वीडियो
  • क्लिप बेस्ड इनफॉर्मेशनल वीडियो
  • शर्त बस इतनी है कि इसमें आपकी खुद की कोई वैल्यू होनी चाहिए, जैसे ऑरिजनल राय, विश्लेषण, या एजुकेशनल एंगल।
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  • AI कंटेंट पर YouTube का रुख क्या है?
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  • YouTube ने स्पष्ट किया है कि वह AI कंटेंट के खिलाफ नहीं है। बल्कि YouTube चाहता है कि क्रिएटर्स AI का इस्तेमाल करके अपने कंटेंट को बेहतर बनाएं।
  • प्लेटफॉर्म खुद AI टूल्स देता है जैसे ऑटो डबिंग, ड्रीम स्क्रीन, आदि।
  • लेकिन अब से क्रिएटर्स को यह डिस्क्लोज करना अनिवार्य होगा कि क्या वीडियो में कोई AI जनरेटेड एलिमेंट इस्तेमाल किया गया है।
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  • क्या बताना जरूरी नहीं?
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  • ब्यूटी फिल्टर्स
  • साउंड क्वालिटी सुधारने वाले इफेक्ट्स
  • लाइट टच एडिटिंग – इनमें डिस्क्लोजर की जरूरत नहीं
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  • क्या बताना अनिवार्य है?
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  • AI फोटो या वीडियो
  • Deepfake एलिमेंट
  • AI वॉयस जनरेशन
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  • क्रिएटर्स के लिए क्या है खतरा?
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  • जो क्रिएटर्स कम मेहनत वाले, बार-बार दोहराए जाने वाले वीडियो बनाते हैं, उन्हें अपनी रणनीति बदलनी होगी।
  • बार-बार चेतावनी के बाद भी सुधार नहीं करने पर YouTube Partner Program से बाहर किया जा सकता है।
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  • ऑरिजनल क्रिएटर्स को मिलेगा फायदा
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  • जिन यूट्यूबर्स का कंटेंट है:
  • High-quality
  • Engaging
  • Educational या इनोवेटिव
  • उन्हें इस बदलाव से डरने की कोई जरूरत नहीं। बल्कि वे अब पहले से ज्यादा फायदा उठा सकते हैं क्योंकि प्रतिस्पर्धा से कम गुणवत्ता वाला कंटेंट हटाया जाएगा।