- पटना। बिहार के उपमुख्यमंत्री श्री सम्राट चौधरी ने बड़ी घोषणा करते हुए बताया कि सारण जिले स्थित ऐतिहासिक सोनपुर मेला स्थल के व्यापक विकास और आधुनिकीकरण के लिए 24.28 करोड़ रुपये की प्रशासनिक मंजूरी दे दी गई है। इस योजना के माध्यम से मेला क्षेत्र को न केवल एक आधुनिक पर्यटन केंद्र के रूप में विकसित किया जाएगा, बल्कि इसे डिजिटल और पर्यावरण-संवेदनशील स्थल के रूप में भी प्रस्तुत किया जाएगा।
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- स्वदेश दर्शन स्कीम 2.0 के तहत सोनपुर मेला को मिलेगा नया स्वरूप
- यह परियोजना स्वदेश दर्शन स्कीम 2.0 की उप-योजना CBDB (Comprehensive Development of Buddhist Destinations and Beyond) के तहत स्वीकृत की गई है। उपमुख्यमंत्री श्री चौधरी ने स्पष्ट किया कि इस विकास योजना का मकसद स्थानीय स्तर पर रोजगार के अवसरों का निर्माण, ग्रामीण अर्थव्यवस्था को गति देना, और सोनपुर को राष्ट्रीय-अंतरराष्ट्रीय पर्यटन मानचित्र पर उभारना है।
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- क्या-क्या शामिल है इस योजना में?
- नया भव्य प्रवेश द्वार: आगंतुकों के स्वागत के लिए आकर्षक और पारंपरिक वास्तुकला पर आधारित प्रवेश द्वार।
- हाट और बाजार क्षेत्र का विकास: शिल्पकारों और व्यापारियों को बेहतर मंच उपलब्ध कराने के लिए संरचित हाट का निर्माण।
- सड़क चौड़ीकरण और घाट कनेक्टिविटी: मेला क्षेत्र तक पहुंचने के लिए बेहतर सड़क व्यवस्था और घाटों से सुगम संपर्क।
- पार्किंग और शटल सेवा: आगंतुकों के लिए समुचित पार्किंग सुविधा और मेला स्थल तक पहुंच के लिए ईको-फ्रेंडली शटल सेवाएं।
- हरित और डिजिटल पहलें – मेला की नई पहचान
- श्री चौधरी ने कहा कि सोनपुर मेला अब केवल पारंपरिक नहीं, बल्कि एक हरित और स्मार्ट मेला के रूप में विकसित होगा। इसके अंतर्गत:
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- प्लास्टिक मुक्त मेला क्षेत्र
- अपशिष्ट प्रबंधन की आधुनिक व्यवस्था
- सौर ऊर्जा आधारित बिजली आपूर्ति
- पर्यावरण जागरूकता अभियान
- वहीं डिजिटल पहल के अंतर्गत:
- मेला मोबाइल एप्लिकेशन
- कैशलेस भुगतान व्यवस्था
- वर्चुअल दर्शन की सुविधा
- स्मार्ट पार्किंग सिस्टम
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- इन पहलियों से मेला की कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, सुविधा और पर्यावरणीय जिम्मेदारी को प्राथमिकता दी जाएगी।
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- सोनपुर मेला – परंपरा और आधुनिकता का संगम
- सोनपुर मेला, जो हर साल कार्तिक पूर्णिमा (इस वर्ष 5 नवंबर) से शुरू होकर एक महीने तक चलता है, भारत ही नहीं बल्कि एशिया का सबसे बड़ा पशु मेला माना जाता है। गंगा और गंडक नदियों के संगम पर लगने वाला यह मेला हाथियों, घोड़ों, गाय-बैलों और अन्य पशुओं की खरीद-बिक्री के लिए ऐतिहासिक रूप से प्रसिद्ध रहा है।
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- पर्यटन, व्यापार और रोजगार को मिलेगा नया बढ़ावा
- उपमुख्यमंत्री ने कहा कि इस योजना से सोनपुर मेला स्थल पर आने वाले पर्यटकों को विश्वस्तरीय सुविधाएं मिलेंगी, जिससे उनकी संख्या में बढ़ोतरी होगी। साथ ही व्यापार के नए अवसर उत्पन्न होंगे और राज्य सरकार को राजस्व में वृद्धि देखने को मिलेगी। उन्होंने कहा, “हमारा प्रयास है कि सोनपुर मेला को एक ऐसा मंच बनाया जाए, जहां परंपरा और तकनीक का सुंदर समावेश हो और जो बिहार की संस्कृति को वैश्विक पहचान दिलाए।”