- प्रधानमंत्री विश्वकर्मा कौशल सम्मान योजना भारत सरकार की एक महत्वपूर्ण पहल है, जो देश के परंपरागत कारीगरों और शिल्पकारों को सशक्त बनाने के उद्देश्य से शुरू की गई है। यह योजना उन लोगों को केंद्र में रखती है, जो पीढ़ियों से पारंपरिक हस्तशिल्प और कारीगरी में लगे हुए हैं, लेकिन आर्थिक संसाधनों और प्रशिक्षण की कमी के चलते अपने हुनर को नई ऊंचाइयों तक नहीं पहुंचा सके हैं।
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- इस योजना के तहत सरकार ऐसे कारीगरों को वित्तीय सहायता, तकनीकी प्रशिक्षण और टूल्स प्रदान करती है ताकि वे आत्मनिर्भर बन सकें और अपने व्यवसाय को एक नई दिशा दे सकें। योजना का फोकस सिर्फ आर्थिक मदद तक सीमित नहीं है, बल्कि इसमें आत्मनिर्भर भारत के सपने को साकार करने की भी पूरी कोशिश है।
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- योजना की जरूरत क्यों पड़ी?
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- भारत में कारीगरों और परंपरागत व्यवसायों की एक समृद्ध विरासत है, लेकिन आधुनिक तकनीक और बढ़ती प्रतिस्पर्धा के बीच ये पेशे धीरे-धीरे खत्म होने लगे हैं। ऐसे में इन पारंपरिक पेशों को पुनर्जीवित करने और इन्हें वर्तमान समय की जरूरतों के अनुसार सशक्त बनाने की आवश्यकता थी।
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- यह योजना इस दिशा में एक ठोस प्रयास है, जो न सिर्फ कारीगरों को नई तकनीकों से जोड़ती है, बल्कि उन्हें आत्मनिर्भर बनाने के लिए जरूरी संसाधन भी उपलब्ध कराती है। इससे न केवल उनके जीवन स्तर में सुधार होगा, बल्कि देश की सांस्कृतिक विरासत को भी संरक्षित किया जा सकेगा।
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- पीएम विश्वकर्मा योजना में पात्रता की शर्तें
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- इस योजना का लाभ उठाने के लिए सबसे पहले यह जरूरी है कि आवेदनकर्ता की उम्र 18 वर्ष से अधिक हो। इसके अलावा, केवल वे लोग इस योजना में आवेदन कर सकते हैं जो पारंपरिक हस्तशिल्प या कारीगरी से जुड़े हुए हैं और जिनका नाम योजना द्वारा जारी की गई पात्रता सूची में शामिल है।
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- सरकार ने पहले ही यह तय कर दिया है कि किन-किन व्यवसायों से जुड़े लोग इस योजना का लाभ उठा सकते हैं। ऐसे में अगर आप इस योजना से जुड़ना चाहते हैं तो आपको पहले यह सुनिश्चित करना होगा कि आपका पेशा पात्रता सूची में है या नहीं।
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- पात्रता की पूरी सूची (18 पारंपरिक व्यवसाय)
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- प्रधानमंत्री विश्वकर्मा योजना के तहत कुल 18 पारंपरिक व्यवसायों को शामिल किया गया है। ये व्यवसाय इस प्रकार हैं:
- पत्थर तराशने वाले (Stone Carver)
- धोबी (Washerman)
- दर्जी (Tailor)
- हथौड़ा और टूलकिट निर्माता (Hammer and Toolkit Maker)
- ताला बनाने वाले (Locksmith)
- राजमिस्त्री (Mason)
- पत्थर तोड़ने वाले (Stone Breaker)
- मूर्तिकार (Sculptor)
- सुनार (Goldsmith)
- फिशिंग नेट निर्माता (Fishing Net Maker)
- टोकरी/चटाई/झाड़ू निर्माता (Basket/Mat/Broom Maker)
- अस्त्रकार (Weapon Maker)
- नाई (Barber)
- मालाकार (Garland Maker)
- नाव निर्माता (Boat Maker)
- गुड़िया और खिलौना निर्माता (Doll & Toy Maker)
- मोची/जूता बनाने वाले (Cobbler/Shoemaker)
- लोहार (Blacksmith)
- अगर आप इन व्यवसायों में से किसी से भी जुड़े हुए हैं, और आपकी उम्र 18 साल से ज्यादा है, तो आप इस योजना के लिए पात्र माने जाएंगे।
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- इस योजना से मिलने वाले लाभ
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- योजना के तहत सबसे पहला लाभ होता है—स्किल ट्रेनिंग। यह प्रशिक्षण कुछ दिनों तक चलता है, और इसमें भाग लेने वाले कारीगरों को उनके पेशे से जुड़ी आधुनिक तकनीक और एडवांस स्किल्स सिखाई जाती हैं। प्रशिक्षण के दौरान लाभार्थी को प्रतिदिन ₹500 भत्ता भी दिया जाता है ताकि वे बिना किसी आर्थिक तनाव के प्रशिक्षण पूरा कर सकें।
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- यह भत्ता इस बात का संकेत है कि सरकार चाहती है कि कारीगर पूरे फोकस के साथ ट्रेनिंग लें और अपने हुनर को निखारें। यह ट्रेनिंग उन्हें भविष्य में अपने व्यवसाय को बेहतर ढंग से चलाने में मदद करेगी।
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- टूलकिट के लिए 15,000 रुपये की सहायता
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- ट्रेनिंग के बाद लाभार्थियों को उनके व्यवसाय में काम आने वाले उपकरण खरीदने के लिए सरकार की ओर से ₹15,000 की एकमुश्त सहायता राशि दी जाती है। यह सहायता पूरी तरह निःशुल्क होती है और इसे सिर्फ उपकरणों की खरीद के लिए इस्तेमाल करना होता है।
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- जैसे—अगर आप एक दर्जी हैं, तो इस राशि से आप सिलाई मशीन या उससे जुड़ा अन्य जरूरी सामान खरीद सकते हैं। यही वजह है कि योजना कारीगरों के लिए बेहद उपयोगी मानी जा रही है।
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- आसान शर्तों पर लोन सुविधा
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- सबसे बड़ी बात यह है कि योजना के तहत लाभार्थियों को ब्याज दरों में भारी छूट के साथ लोन भी दिया जाता है। इस लोन को दो चरणों में दिया जाता है:
- पहला लोन: ₹1 लाख तक, कम ब्याज दर पर
- दूसरा लोन: पहला लोन चुकता करने के बाद ₹2 लाख तक का अतिरिक्त लोन
- इस लोन से कारीगर अपना छोटा उद्योग शुरू कर सकते हैं, या पहले से मौजूद व्यवसाय को बढ़ा सकते हैं। इस प्रकार योजना उन्हें आत्मनिर्भर बनने का सीधा मौका देती है।