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  • बिहार में भारत-नेपाल सीमा सड़क परियोजना के तहत अब तक 400 किमी से अधिक सड़क निर्माण कार्य पूरा हो चुका है। इस महत्वपूर्ण परियोजना पर अब तक लगभग 2,486 करोड़ रुपये खर्च किए जा चुके हैं। आधिकारिक जानकारी के अनुसार, इस परियोजना के शेष 154 किमी सड़क का निर्माण कार्य इस वर्ष के मध्य तक पूरा होने की संभावना है।
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  • सात जिलों को सीधी कनेक्टिविटी का लाभ
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  • इस सड़क परियोजना के पूरा होने के बाद बिहार के सात सीमावर्ती जिले—पश्चिम चंपारण, पूर्वी चंपारण, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया और किशनगंज—को सीधी कनेक्टिविटी का लाभ मिलेगा। यह सड़क 554 किमी लंबी होगी, जिससे इन जिलों में यातायात की सुविधा में उल्लेखनीय सुधार होगा और स्थानीय लोगों को यात्रा में अधिक सहूलियत मिलेगी।
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  • इस परियोजना से न केवल सामाजिक एवं आर्थिक विकास को गति मिलेगी, बल्कि भारत-नेपाल के बीच सड़क संपर्क भी और मजबूत होगा। इसके अतिरिक्त, सीमा सुरक्षा में वृद्धि होगी और एसएसबी (सशस्त्र सीमा बल) के जवानों को बेहतर पेट्रोलिंग की सुविधा मिलेगी, जिससे तस्करी और अन्य गैरकानूनी गतिविधियों पर अंकुश लगाने में सहायता मिलेगी।
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  • पर्यटन और व्यापार को मिलेगा बढ़ावा
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  • भारत और नेपाल के बीच लगभग 729 किलोमीटर की साझा सीमा है, जिसमें से 554 किमी को बॉर्डर सड़क परियोजना के तहत विकसित किया जा रहा है। यह परियोजना वर्ष 2010 में शुरू की गई थी और इसे उत्तराखंड, उत्तर प्रदेश और बिहार में कुल 1,372 किमी की सीमा पर विकसित किया जाना है। इसका एक बड़ा हिस्सा पहले ही पूरा किया जा चुका है।
  • इस परियोजना के पूरा होने से नेपाल, उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड और पश्चिम बंगाल की यात्रा में लगने वाले समय में कमी आएगी। सीमावर्ती गांवों में व्यापार, शिक्षा और स्वास्थ्य सेवाओं का विस्तार होगा, जिससे स्थानीय निवासियों को अधिक सुविधाएं मिलेंगी।
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  • सीमावर्ती इलाकों के विकास को मिलेगा नया आयाम
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  • इस सड़क के बनने से न केवल सीमावर्ती क्षेत्रों में बुनियादी ढांचे का विकास होगा, बल्कि क्षेत्रीय पर्यटन और व्यावसायिक गतिविधियों को भी गति मिलेगी। नेपाल से आने वाले पर्यटकों की संख्या में वृद्धि होगी, जिससे होटल, रेस्टोरेंट और अन्य पर्यटन से जुड़े व्यवसायों को बढ़ावा मिलेगा। साथ ही, इस सड़क परियोजना के माध्यम से भारत-नेपाल के बीच आर्थिक और सांस्कृतिक संबंध भी और प्रगाढ़ होंगे।