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बिहार सरकार ने राज्य में बैंकिंग व्यवस्था की पारदर्शिता और जवाबदेही बढ़ाने की दिशा में एक बड़ा कदम उठाया है। उपमुख्यमंत्री सम्राट चौधरी ने जानकारी दी है कि अब बैंकों के प्रदर्शन के मूल्यांकन के लिए एक रैंकिंग/स्कोरिंग इंडेक्स लागू किया जाएगा, जिसे राज्य सरकार ने स्वीकृति प्रदान कर दी है।

इस इंडेक्स को तैयार करने का मुख्य उद्देश्य है बैंकों की भूमिका को मजबूती देना और उन्हें राज्य के आर्थिक विकास में अधिक प्रभावी बनाना। यह रैंकिंग सिस्टम उन बैंकों की जवाबदेही तय करेगा जो सरकारी योजनाओं में भागीदारी, वार्षिक साख योजनाओं के लक्ष्यों की प्राप्ति, क्रेडिट-डिपॉजिट अनुपात (CD Ratio) में सुधार, कृषि, पशुपालन, मत्स्य जैसे प्राथमिकता प्राप्त क्षेत्रों में ऋण वितरण, स्वयं सहायता समूहों को ऋण उपलब्ध कराने तथा प्रधानमंत्री मुद्रा योजना, किसान क्रेडिट कार्ड (KCC), पीएमईजीपी जैसी योजनाओं के सफल क्रियान्वयन जैसे बिंदुओं पर खरा उतरते हैं या नहीं।

उपमुख्यमंत्री चौधरी ने साफ शब्दों में कहा कि बैंक अब केवल जनता की बचत की सुरक्षा तक सीमित नहीं हैं, बल्कि ये राज्य की आर्थिक चाल को दिशा देने वाले संस्थान हैं। बैंक यदि उद्योग, व्यापार, शिक्षा और सेवा जैसे क्षेत्रों में सही तरीके से ऋण वितरित करें, तो वे रोजगार सृजन में भी प्रभावी भूमिका निभा सकते हैं। इसी सोच के तहत राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति (SLBC) के माध्यम से हर वित्तीय वर्ष की शुरुआत में वार्षिक साख योजना बनाई जाती है, जिसमें बैंकों को लक्ष्य दिए जाते हैं।

हालांकि, चौधरी ने यह भी बताया कि वित्तीय वर्ष 2024-25 में अधिकांश बैंक अपने निर्धारित लक्ष्यों को पाने में विफल रहे हैं। विशेष रूप से, बिहार का CD Ratio राष्ट्रीय औसत से कम है, जो चिंता का विषय है। इस गिरावट को देखते हुए ही यह निर्णय लिया गया है कि अब बैंकों की जवाबदेही सुनिश्चित करने के लिए परफॉर्मेंस बेस्ड रैंकिंग इंडेक्स जरूरी हो गया है।

इस इंडेक्स के तहत बैंकों को कम से कम 40 अंक लाने होंगे। जो बैंक इस न्यूनतम स्कोर को हासिल नहीं कर पाएंगे, उन्हें न तो सरकारी योजनाओं में भाग लेने की अनुमति मिलेगी और न ही वे सरकारी विभागों, सार्वजनिक उपक्रमों, प्राधिकरणों और सोसाइटीज से बैंकिंग लेन-देन कर सकेंगे। साथ ही, ऐसे बैंकों को सरकारी जमा भी स्वीकार करने की अनुमति नहीं दी जाएगी।

उपमुख्यमंत्री ने इस रैंकिंग को बैंकों के लिए एक "अलार्मिंग सिग्नल" बताया। उन्होंने स्पष्ट किया कि यह कदम बैंकों को अपने कार्यप्रणाली में पारदर्शिता, सक्रियता और दक्षता लाने के लिए प्रेरित करेगा। 

यह फैसला बैंकों को केवल लाभकारी प्रदर्शन के लिए नहीं, बल्कि समाज और राज्य के व्यापक हित में काम करने के लिए बाध्य करेगा।