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लखनऊ (डॉ मोहम्मद कामरान) । जैसे-जैसे माहे रमज़ान का आखिरी दौर आ रहा है वैसे वैसे रोजा इफ्तार का दौर बढ़ता जा रहा है। कलमकार लाइक अहमद ने अपने दौलतखाने में रोजा अफ्तार का कार्यक्रम रखा था जिसमें ज़्यादातर मीडिया से जुड़े लोग ही थे, लाइक भाई ने लायक़ लोगो की ये महफ़िल सजाई थी, बहुत बड़ी नामचीन हस्तियां नहीं थी और सर्व धर्म जैसा कोई माहौल नही था, अलग अलग मज़हब को मानने वाले लोग थे, खुद को सर्व धर्म कहलाने वाला कोई नही था, सबका धर्म इंसानियत था और लाइक भाई के घर आंगन में रोज़ा अफ़्तार कार्यक्रम था।

लाइक भाई के दौलतखाने में मुखौटा धारी इंसानों की बस्ती के भले ही कोई नामचीन और फोटोनवीस धर्म गुरु नही था लेकिन मीडिया जगत के सब जगमगाते सितारे थे, लंबा चौड़ा दस्तरखान नहीं था, न ही सैकड़ों की तादाद में भीड़ भाड़ थी, पत्रकारों के कृष्ण स्वरूपी चर्चित नामाराशी हेमंत थे लेकिन हेमंत वाली बात नही थी, रमज़ान के दस्तरखान पर जहां कृष्ण की मुस्कुराहट बिखरी थी वहीं खड़े होकर दुआ के लिए हाथ उठाकर तस्वीर बनाने वाला कोई न था लेकिन इस शानदार, लायक अफ्तार के लिए लाइक भाई के लिए सबके दिलों से दुआ ज़रूर निकली, लंबा चौड़ा दस्तरखान पर कोई राजसी पकवान नही थे लेकिन बेसन की रोटी और चटनी का ज़ायका सबकी ज़ुबान पर था।

Azeez Siddiqui थे, तो उनके अज़ीज़ों की कमी नही थी, आलम दिख रहे थे तो, मुख्तार का जलवा जनाब आमिर साहब में झलक रहा था, Tanveer Ahmad Siddiqui भाई अपने क्रांतिकारी अंदाज़ में बिरयानी निपटा रहे थे वही Shabab Noor के चेहरे का नूर रमज़ान मुबारक महीने में और भी नूर बरसा रहा था, अफ़्तार के बाद उनका मोजो जर्नलिज़्म का खून बार बार जोश मार रहा था और लाइक भाई के इस ख़ास रोज़ा अफ़्तार कार्यक्रम को यादगार बनाने के लिए सबकी बातों और उनके एहसासों को बड़ी ही खूबसूरती से अपने कैमरे में कैद कर रहे थे, ऐसे शानदार रोज़ा अफ़्तार में नाचीज़ को बुलाने के लिए लाइक भाई का दिली शुक्रिया,