img

Symptoms of Pregnancy Hindi: आपके जेहन में सवाल उठता होगा कि आखिर कितने दिन में प्रेग्नेंसी के लक्षण दिखने लगते हैं। क्या पीरिएड मिस होने से पहले ही यह जाना जा सकता है कि आप गर्भवती हैं या नहीं। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है प्रेग्नेंसी के लक्षण कंसीव करने के तीन से चार दिन बाद ही दिखने लगते हैं। यदि इन पर ध्यान दिया जाए तो आप प्रेग्नेंसी के बारे में जान सकते हैं और फिर समय से जांच कराकर इसकी पुष्टि भी कर सकते हैं।

प्रग्नेंसी के तीन से चार दिन बाद दिखने लगते हैं ये लक्षण (Symptoms of Pregnancy Hindi)

मौजूदा भागमभाग माहौल और बिगड़ी लाइफस्टाइल की वजह से महिलाओं को कंसीव करने में समस्या हो रही है। स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि यदि ऐसे में कोई महिला कंसीव करती है तो कपल को इससे कोई छेड़छाड़ करने की जरूरत नहीं है। कुछ लोग जल्द ही बच्चा चाहते हैं, उनका पीरिएड मिस होने के समय तक सब्र रखना मुश्किल होता है। कपल के कंसीव करने के तीन से चार दिन बाद ही ऐसे लक्षण दिखने लगते है। जिससे गर्भावस्था का पता लगाया जा सकता है। अब आपको ज्यादा दिन इंतजार करने की जरूरत नहीं है। यहां ऐसे ही लक्षणों (Sign of Pregnancy in hindi)के बारे में बताया जा रहा है, जो आपके लिए मददगार साबित होगा।

शुरू हो जाता है वैजाइना डिस्चार्ज (Vaginal Discharge During Symptoms of Pregnancy In Hindi)

प्रेग्नेंसी के तुरंत बाद ही वैजाइनल डिस्चार्ज होना शुरू हो जाता है। ऐसा इसलिए भी होता है, क्योंकि प्रेग्नेंसी के तुरंत बाद शरीर में तेजी से हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं। वैजाइना की कोशिकाएं तेजी से बढने लगती है। उसकी वाल मोटी होने लगती है। ऐसे में थोड़ा डिस्चार्ज भी हो सकता है। पर यदि उस डिस्चार्ज में बदबू हो या वजाइन में जलन या दर्द लगे तो डाक्टर से सलाह लेना जरूरी होता है, क्योंकि तब इंफेक्शन के चांसेज होते हैं।

रक्तस्राव होना (Bleeding During Symptoms of Pregnancy In Hindi)

जब भ्रूण आपकी बच्चेदानी के सेल्स से चिपकता है तो वहां ब्लड वेसल्स में दिक्क्त होती है। वह फट जाते हैं। इसकी वजह से आपको हल्का रक्तस्राव सा दिख सकता है। पर यह रक्तस्राव पीरिएड का नहीं होता है, क्योंकि पीरिएड का रक्तस्राव एक फ्लो में निकलता है। ऐसे में आप कन्फ्यूज मत हों। पेट या कमर में दर्द भी महसूस हो सकता है। यूट्रस में क्रैम्पिंग जैसा फीलिंग आ सकती है। पर ऐसा हर किसी के साथ नहीं होता। पर कंसीव करने के तीन से चार दिन बार तमाम महिलाओं में ऐसे लक्षण पाए जाते हैं।

ब्रेस्ट में शुरू हो जाता है बदलाव (Changes During Symptoms of Pregnancy In Hindi)

इतना ही नहीं ब्रेस्ट में भी परिवर्तन शुरू हो जाता है। आप कंसीव करने के तीन से चार दिन बाद ही अपने ब्रेस्ट में परिवर्तन महसूस कर सकती हैं। इसमें भारीपन, झनझनाहट के साथ दर्द की फीलिंग भी सकती है। या फिर ब्रेस्ट को छूने पर दर्द भी महसूस हो सकता है।

थकान लगना (Pregnancy In Hindi)

चूंकि कंसीव करने के तुंरत बाद से ही शरीर में तेजी से हार्मोनल बदलाव होने लगते हैं। इसकी वजह से महिलाओं को थकान महसूस होती है। ऐसी स्थिति में महिला यदि ज्यादा देर खड़ी रहे तो उसे अनकम्फर्टेबल महसूस होता है। उसका आराम करने का मन करता है। ऐसी स्थिति में महिलाओं को आराम करने की सलाह दी जाती है।

उल्टी होना या जी मिचलाना (Pregnancy In Hindi)

कंसीव करने के कुछ दिन बाद ही महिलाओं में मार्निंग सिकनेस देखा गया है। कुछ महिलाओं को यह दोपहर में परेशान करता है। कई को यह लक्षण शाम के समय दिखते हैं। पर ऐसे पीरिएड में जी मिचलाना या उल्टी आना आम है। किचेन में काम करते वक्त बदबू महसूस हो सकती है।

पीरिएड मिस होने से पहले के समय को नहीं कर सकते नजरअंदाज

वैसे कुछ मामलों में पीरिएड मिस होने से पहले ही उबकाई, जी मिचलाना व उल्टी की समस्या महसूस होती है। पर कुछ मामलों में ऐसा नहीं भी होता है। हालांकि जब पीरिएड आने का समय होता है, उस समय ऐसा महसूस हो सकता है। चूंकि उस समय भी भ्रूण के विकास की प्रक्रिया चल रही होती है। जिसमें कई हफ्ते लगते हैं। फिर भी आप पीरिएड मिस होने से पहले के समय को नजरअंदाज नहीं कर सकते हैं। आपको अभी से सतर्क हो जाना और अपने स्वास्थ्य का ख्याल रखना है।

पीरिएड महिलाओं को गर्भावस्था के लिए करता है तैयार

यह प्राकृतिक है कि महिलाओं को हर माह पीरिएड आता है। यह प्राकृतिक तौर पर महिलाओं के शरीर को संभावित गर्भावस्था के लिए प्रीपेयर करता है। भले ही आपका गर्भ माह के दूसरे पखवारे के समय से है। पर बच्चे के बर्थ की संभावित गणना हमेशा पीरिएड शुरू होने के पहले दिन से की जाती है। अक्सर बातचीत के दौरान महिलाएं इस तथ्य को लेकर असमंजस जाहिर करती हैं। पर यह सत्य है कि बच्चे के जन्म की तारीख की संभावित गणना में उस तारीख का उपयोग किया जाता है। जिस तारीख को महिला को पीरिएड आया था। यह एक सामान्य प्रक्रिया है।

इस तरह आपको योजना बनाने में मिलेगी मदद

ऐसे समय में महिलाओं को खुद को गर्भधारण करने के लिए तैयार करना चाहिए। उन्हें अपने पीरिएड आने की तिथि कहीं लिख लेनी चाहिए। ताकि उन्हें अपने पीरिएड आने के समय का सही पता लग सके। इससे आपको गर्भधारण के समय योजना बनाने में मदद मिलती है।

धीमी चलती है यह प्रक्रिया

दरअसल गर्भधारण के समय के बारे में आप निश्चित नहीं हो सकते है। यह आपको बिना बताएं अचानक होता है। और आपको इसके बारे में पता भी नहीं चलता। जब शरीर में शुरूआती लक्षण दिखने लगते हैं तो आपको पता चलना शुरू होता है कि आप र्गभवती हैं। चूंकि यह प्रक्रिया इतने धीमे चलती है कि यह महसूस होने में महिलाओं को कई हफ्ते लग सकते हैं।

सबसे मजबूत शुक्राणु ही जा पाता है आगे

महिलाओं के शरीर के ओवरी यानि अंडाशय से निकलने के बाद ओवा यानि अंडाणु कम अवधि तक जीवित रह सकता है। उसकी यात्रा यहीं से शुरू हो जाती है। उसे ओवरी से फैलोपियन टयूब तक पहुंचने में 24 घंटे तक का टाइम लगता है। यहीं पर शुक्राणु का ओवा के साथ फर्टिलाइजेशन होता है। वैसे अंडाणु, शुक्राणु की तुलना में कम समय तक जीवित रहता है। सबसे मजबूत शुक्राण ही आगे जा पाता है। गतिशील शुक्राणु सर्विक्स या गर्भाशय ग्रीवा से निकलकर गर्भाशय तक पहुंचता है और फिर फैलोपियन टयूब तक जा पाता है।

इन बातों का रखें ध्यान, जब हो एक हफ्ते का गर्भ (Pregnancy In Hindi)

-पीरिएड शुरू होने के समय को रिकार्ड में रखें। इसका भी ध्यान रखें कि कब तक आपको रक्तस्राव होता है। यह आपके लिए यह पता लगाने में सहायक होगा कि कब आपके गर्भधारण करने की संभावना है।

-यदि आप वाकई में गर्भधारण करना चाहती हैं तो पहले आप गर्भनिरोधक चीजों को इस्तेमाल बंद कर दें।

-यदि आप गर्भनिरोधक गोलियां ले रही हैं तो आपके चक्रों को सामान्य स्थिति में आने में थोड़ा समय लग सकता है।

-डिलीवरी के पहले ही विटामिंस जरूर लें। यदि आप कोई भी दवा का प्रयोग करने जा रहें तो अपने डाक्टर से इस बारे में सलाह जरूर लें।

-जंक फूड से परहेज करें। व्यायाम करें। हरी सब्जियों का प्रयोग करें। समय पर मेडिकल चेकअप कराएं।

डिस्कलेमर:—हमारा उददेश्य गर्भवती महिलाओं को उनके खान पान के लिए जरूरी अवेयरनेस उपलब्ध कराना है। आप अपने खान पान के संबंध में डाक्टरी सलाह जरूर लें। अलग अलग लोगों पर अलग अलग चीजों का प्रभाव अलग होता है। फिर भी आपको धूम्रपान और एल्कोहल लेने से बचें। यह स्वास्थ्य के लिए हानिकारक होता है और किसी भी स्थिति में जच्चा और बच्चा के स्वास्थय के लिए अनुकूल नहीं माना जाता है। प्रेग्नेंसी के समय आप योग और मेडिटेशन को अपने डेली रूटीन का हिस्सा बना सकती हैं। इसके लिए किसी प्रशिक्षित योग प्रशिक्षक से सम्पर्क करके ही आगे बढें।

In Pregnancy Diet Chart: स्वस्थ बच्चे के लिए गर्भावस्था में क्या खाना चाहिए और क्या नहीं, सुबह के नाश्ते में किस तरह का खान पान जरूरी जानिए वह सब कुछ जो आपके लिए है जरूरी