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लखनऊ। आसक्ति के आने पर भक्ति से मानव दूर हो जाता है। आसक्ति सूर्पनखा है, जो स्वतः चल कर आती है और सीता मैया भक्ति हैं, जिसके पास स्वयं ब्रह्म को जाना पड़ता है। गोमतीनगर विस्तार स्थित रामकथा पार्क के निकट आयोजित नव दिवसीय शतचंडी महायज्ञ व संगीतमय राम कथा में मौजूद श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कथा वाचक सत्यीजत पांडेय ने यह बात कही। रविवार को बख्शी का तालाब क्षेत्र के विधायक योगेश शुक्ल ने व्यास पीठ का पूजन किया।

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जो प्राप्त है, वही पर्याय है

उन्होंने कहा कि भरतजी के साथ सभी अयोध्यावासी भगवान से मिलने जाते हैं। भरतजी संत हैं और रामजी का दर्शन तो भरतजी जैसे संत के साथ जाने पर ही हो सकता है। इस संसार में ब्रह्म के पिता दशरथ जी का मनोरथ अधूरा रह जाता है, तो हम जीव क्या हैं? इसलिए जो प्राप्त है, यही पर्याप्त है, यह मानकर जीव को सदैव भगवान के नाम को लेना चाहिए।

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ईश्वर के पास निर्मल भाव से जाएं

उन्होंने श्रद्धालुओं को कथा श्रवण कराते हुए कहा कि भगवान शास्त्र और शस्त्र दोनों धारण करते हैं, क्योंकि शस्त्र से आस्था और शास्त्र से ब्यवस्था होती है। जीव को जो नहीं मिला है, उसे देखने से अभिमान आता है तथा जो मिला है, उसे देखने से मन भाव से भर जाता है, इसीलिए ईश्वर के पास निर्मल भाव से जाना चाहिए।

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ईश्वर के सामने जाने पर बनावट की नाक कट जाती है

आचार्य सत्यजीत पांडेय ने कहा कि दिखावा करने वाले का नाम ही सूर्पनखा है और बनावट की नाक कान ईश्वर के सामने कट जाती है, यानि, निर्मल मन जन सो मोहि पावा। भगवान् के सभी गुणों को हम जान नहीं सकते, इसीलिए जितना भजन हो जाए, वही अपना है, इसलिए सभी कार्यों को करते हुए, हरि स्मरण करना नहीं भूलना चाहिए।

रामकथा में प्रमुख तौर पर विधायक योगेश शुक्ल, एस तोमर एसीपी मुरादाबाद व ज्योतिष गुरू, शत्रुधन शाही, अजय समाजसेवी अजय तिवारी, विनय मिश्र, गोरखनाथ राव, अमित उपाध्याय, अमिय व अन्य गणमान्यजन उपस्थित रहें।

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