Mobile Addiction Treatment News: प्रयागराज में ऐसा भी अस्पताल जहां मोबाइल के नशे का होता है इलाज, इंटरनेट की लत छुड़ाई जाती है
- 203 Views
- Mediavarta Desk
- June 20, 2022
- Health News Trending Uttar-Pradesh
Mobile Addiction Treatment News:मौजूदा समय में जब आप अपने आस पास देखते हैं तो पाते हैं कि बच्चों से लेकर बुजुर्गों के हाथ में मोबाइल रहता है और उसी मोबाइल की स्क्रीन पर आंखे गड़ाए बैठे रहते हैं। ट्रेन में सफर कर रहे हों या टैक्सी स्टैंड, सब जगह पर आपको मोबाइल के नशे की गिरफ्त में कैद लोग मिल जाएंगे। यदि आपका भी कोई पारिवारिक सदस्य मोबाइल के नशे की गिरफ्त में है, तो आप उसका इलाज करा सकते हैं। इंटरनेट की लत लग चुकी है तो आप उसकी लत भी छुड़वा सकते हैं। यूपी के प्रयागराज जिले के एक अस्पताल में मोबाइल की लत को छुड़ाने का इलाज होता है।
मोबाइल के नशे से मुक्ति दिलाता है यह केंद्र
मोबाइल के नशे की लत से लोगों को मुक्ति दिलाने के लिए यूपी का पहला मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र प्रयागराज में खुल चुका है। मोतीलाल नेहरू मंडलीय अस्पताल में यह संचालित हो रहा है। मोबाइल फोन का लत लोगों को इस कदर लग चुका है कि वह हर समय मोबाइल से ही चिपके रहते हैं। रात की नींद के समय का भी हिस्सा मोबाइल और इंटरनेट ने चुरा लिया है। इससे लोगों के दिमाग और आंखों पर सीधा असर पड़ रहा है। मानसिकता पर असर पड़ना लाजिमी है। मोबाइल के ज्यादा इस्तेमाल से लोगों में बेचैनी आम बात है।
तीन साल से हो रहा संचालित
तीन साल पहले प्रयागराज के मोती लाल नेहरू मंडलीय अस्पताल में इसकी शुरूआत हुई। मोबाइल नशा मुक्ति केंद्र का संचालन शुरू हुआ। इसके लिए विशेष ओपीडी चलायी जा रही है, जो मरीज यहां इलाज के लिए आते हैं। उनकी पहले काउंसलिंग की जाती है। यदि जरूरत पड़ती है तो उन्हें दवाएं भी प्रिस्क्राइब की जाती है। योग व थिरेपी के प्रयोग की भी सलाह दी जाती है।
इंटरनेट और मोबाइल एडिक्शन से जुड़ी समस्याओं का होता है इलाज
स्थानीय लोगों का कहना है कि आम जन को इंटरनेट और मोबाइल का एडिक्शन हो गया है। इससे जुड़ी हुई समस्याओं का यहां इलाज किया जाता है। खासकर गेमिंग में बच्चों से लेकर बड़ों तक का एडिक्शन है। अस्पताल में साइकोथेरेपी की जाती है और इसके माध्यम से यह लत छुड़ाने का प्रयास किया जाता है। कुछ मामलों में मोबाइल और इंटरनेट की लत इस हद तक बढ जाती है कि उन्हें दवाएं भी प्रिस्क्राइब करनी पड़ती है। सूचना प्रौद्योगिकी के बढते चलन से रोजमर्रा के जीवन में सहूलियतें बढी हैं। पर इसके ज्यादा इस्तेमाल से लोगों की जिंदगी प्रभावित हुई है। अब लोग एक दूसरे से मिल जुल कर रहने के बजाए मोबाइल और इंटरनेट के साथ ही एकाकी जीवन बिताना ज्यादा पसंद करते हैं।