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न नियम पढ़ा गया और न ही मानकों का ध्यान रखा गया, सिर्फ सबसे बड़ा रुपैया देखा गया, सूचना एवं जनसम्पर्क विभाग, उत्तर प्रदेश

लखनऊ (एच, ए इदरीसी,अध्यक्ष, मान्यता प्राप्त उर्दू मीडिया एसोसिएशन, उत्तर प्रदेश, लखनऊ)। समाज का चौथा स्तंभ के रूप में देखे जाने वाले पत्रकारिता के पेशे को कुछ पेशेवर लोगों ने जहां अपने दोहरे चरित्र से बदनाम कर रखा है वही सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों एवं कर्मचारियों की मिलीभगत से फर्जी शपथ पत्रों एवं फर्जी प्रसार संख्या के आधार पर राज्य मुख्यालय की मान्यता करा कर न सिर्फ अति सुरक्षित वरिष्ठ प्रशासनिक अधिकारियों के कार्यालय सचिवालय, बापू भवन और मुख्यमंत्री के कार्यालय लोक भवन के अंदर आने जाने का अपना पुख़्ता इंतज़ाम बना लिया है और वही से अपनी ठेकेदारी और व्यवसायिक कार्यो को अंजाम देने का स्थायी सरकारी पास प्राप्त कर लिया गया है।

पैसा हो तो क्या नही सो सकता इस गणित पर काम करते हुए इस काम को बखूबी अंजाम देने में विभागीय अधिकारियों की संलिप्तता से इनकार नही किया जा सकता जबकि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के दखल के बाद हुई जांच में लगभग 9 करोड़ की हेराफेरी जो सचिवालय के अंदर घटित हुई थी उससे संबंधित पत्रकारो की जमानत भी नही हुई है और एक नई फौज फिर से तैय्यार कर दी गयी है। तथाकथित पत्रकार जो सचिवालय के अधिकारी कक्ष में बैठकर गिरोह का संचालन करता था वो आज तक जेल की सलाखों के पीछे कैद है परंतु सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारी एवं कर्मचारी द्वारा मान्यता नवीनीकरण के प्रकरण को संजीदगी, गंभीरता से न लेकर दिनांक 29.12.2021 को कार्यवृत्त हस्ताक्षरित कर अनेक ऐसे व्यक्तियों को मान्यता दी गई जिनका पत्रकारिता से कोई लेना देना नही और इस कार्यवृत को स्वयं सूचना निदेशक श्री शिशिर सिंह ने संस्तुति प्रदान कर लगभग 694 नवीनीकरण प्रकरण एवं 65 स्थानांतरण संबंधी प्रकरण मिलाकर कुल 759 मान्यता नवीनीकरण का अनुमोदन कर राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त पत्रकारों को 2 वर्ष हेतु कार्ड जारी किए गए। उपरोक्त नवीनीकरण हेतु 61 पृष्ठो की सूची पर सूचना निदेशक, उपनिदेशक और दो अन्य अधिकारियों द्वारा अपने हस्ताक्षर का अनुमोदन किया गया जिसमें 98 प्रकरण न्यूज़ चैनल, 71 प्रकरण न्यूज़ एजेंसी, 42 प्रकरण वरिष्ठ पत्रकार, 98 प्रकरण स्वतंत्र पत्रकार एवं 385 प्रकरण प्रिंट मीडिया से जुड़े पत्रकार पत्रकारों के नाम सम्मिलित किये गए।

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सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा राज्य मुख्यालय पर मान्यता प्राप्त पत्रकारों की प्रेस मान्यता की मान्य अवधि आगामी 2 वर्ष तक नवीनीकरण कर कार्ड निर्गत कर दिए गए जबकि समाचार पत्रों की प्रसार संख्या हेतु भारत सरकार की डीएवीपी द्वारा 31 मार्च 2022 तक ही दरें निर्धारित की गई हैं और डीएपी द्वारा किसी भी समाचार पत्रों को 2 वर्ष के लिए नवीनीकरण दरें नहीं दी गई है जिसका सीधा तात्पर्य है कि जब समाचार पत्रों को 2 वर्षों की प्रसार संख्या का निर्धारण ही डीएवीपी द्वारा नहीं किया गया तो ऐसी स्थिति में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा समाचार पत्रों से जुड़े प्रतिनिधियों का प्रेस मान्यता नवीनीकरण 2 वर्षों के लिए किस आधार पर कर दिया गया, यह एक बड़ा प्रश्न चिन्ह जो न सिर्फ सूचना एवं जनसंपर्क के अधिकारी और कर्मचारी बल्कि सूचना निदेशक को भी संदेह के दायरे में लाता है और मुख्यमंत्री कार्यालय में मान्यता कार्ड जारी हो जाने के बाद सेंध लगना स्वभाविक है क्योंकि मान्यता कार्ड के आधार पर बड़ी आसानी सुरक्षा की दृष्टि से अति महत्वपूर्ण कार्यालयो में प्रवेश बड़ी आसानी से मिल जाता है।

सूचना एवं जनसंपर्क विभाग द्वारा उत्तर प्रदेश राज्य मुख्यालय पर मीडिया प्रतिनिधियों को मान्यता प्रदान करने हेतु मार्गदर्शिका 2008 के परिशिष्ट 2 में स्पष्ट रूप से विभिन्न समाचार पत्रों की श्रेणियों के लिए मान्यता हेतु निर्धारित संवाददाताओं की अधिकतम संख्या बताई गई है जिसके बिंदु 3 में उल्लिखित है की प्रदेश के किसी भी जनपद से जिनका एक संस्करण प्रकाशित होता है और उसकी प्रसार संख्या 25000 से अधिक है तो एक संवाददाता तथा एक फोटोग्राफर की मान्यता हो सकती है एवं श्रेणी 5 में ऐसे साप्ताहिक समाचार पत्र एवं साप्ताहिक पाक्षिक पत्रिका जिनकी प्रसार संख्या 25000 से अधिक हो उनके एक संवाददाता तथा एक फोटोग्राफर की मान्यता करने का प्रावधान है ऐसे में सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक महोदय ने किस आधार पर मात्र 25000 सरकुलेशन वाले समाचार पत्रों के प्रतिनिधियों की मान्यता नवीनीकरण करके कार्ड निर्गत किया गया जो अति गंभीर जांच का विषय है।

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मान्यता नियमावली के बिंदु संख्या 6 मान्यता के सामान्य नियम के प्रस्तर 6 बिंदु 2 में उल्लिखित है कि मान्यता केवल उन्हीं प्रतिनिधियों को दी जाएगी जिनकी तैनाती तथा निवास राज्य मुख्यालय पर हो एवं प्रस्तर 6 के बिंदु 9 पर उल्लिखित है यदि किसी प्रतिनिधि द्वारा असत्य सूचनाओं अभिलेखों के आधार पर मान्यता प्राप्त करने का प्रयास किया गया होगा तो उसे मान्यता समिति द्वारा कम से कम 2 वर्ष और अधिकतम 5 वर्ष के लिए मान्यता प्राप्त करने से वंचित कर दिया जाएगा परंतु सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के निदेशक श्री शिशिर सिंह द्वारा मान्यता संबंधी अनेक शिकायती पत्रों को नजरअंदाज करके मान्यता नवीनीकरण का कार्य किया जाना विभाग द्वारा बनाए गए मानकों को दरकिनार कर क्या संदेश देने का कार्य किया गया है, यह गंभीर पूर्वक जांच का विषय है।

उपनिदेशक प्रेस श्री ओ,पी,राय द्वारा जिस कार्यवृत्त से प्रेस मान्यता नवीनीकरण संबंधी प्रकरण पर अनुमोदन कराया गया है उसके पृष्ठ 1 के क्रम संख्या 2 पर जिस न्यूज़ चैनल से मान्यता दी गई है उस न्यूज़ चैनल का न तो डीएवीपी में कोई अस्तित्व है और ना ही सूचना विभाग में कही कोई नाम है, क्रम संख्या 47 और 63 पर जिस संस्थान के नाम पर मान्यता का अनुमोदन किया गया है वह संस्थान स्वयं अपने को न्यूज़ चैनल की श्रेणी में नहीं रखता ऐसे में मान्यता दिए जाने का क्या आधार है, वही क्रम संख्या 55 पर एक अंग्रेजी पत्रिका से मान्यता दिए जाने का आधार न्यूज़ चैनल में किस श्रेणी में दिया गया ये समझ से परे है।

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जिन न्यूज़ चैनल को न तो डीएवीपी द्वारा मान्यता दी गई हो और ना ही सूचना विभाग में सूचीबद्ध किया गया हूं ऐसे न्यूज़ चैनल से मान्यता किस आधार पर दी गई गंभीर जांच का विषय है। न्यूज़ चैनल के साथ साथ ऐसे समाचार पत्रों को मान्यता दी गयी है जिनकी प्रसार संख्या davp की वेबसाइट में 25000 से कम दिखाई देती है लेकिन न नियम पढ़ा गया और न ही मानकों का ध्यान रखा गया, सिर्फ सबसे बड़ा रुपैय्या देखा गया और लोकतंत्र के चौथे स्तंभ को खोखला बनाने का काम किया गया।

इस पूरी साजिश में सिर्फ सूचना एवं जनसंपर्क विभाग के अधिकारियों की मिलीभगत नही हो सकती क्योंकि इस साजिश के तहत अति सुरक्षित भवन जहां प्रदेश सरकार के मुख्यमंत्री और आला अधिकारी आते जाते है वहां प्रवेश का रास्ता बनाया गया है इसलिए विदेशी संगठनो का हाथ होने से इनकार नही किया जा सकता। समस्त जानकारी DAVP की वेबसाइट पर उपलब्ध होने के बावजूद भी ऐसे लोगों को मान्यता दिया जाना गंभीर अपराध की श्रेणी में आता है जबकि न्यूज़ चैनल एवं समाचार पत्र की प्रसार संख्या किसी भी साधारण व्यक्ति द्वारा वेबसाइट से देखा और परखा जा सकता है।