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लड़की हूँ, लड़ रही हूं, जनता के दिलो में घर कर रहीं हूँ, हमीरपुर की राजकुमारी हूँ, जनमानस की दुलारी हूँ

बेटियों को आगे बढ़ाना है, हमीरपुर का मान बढ़ाना है, विजयी होकर दुनिया मे बुंदेलखंड का परचम लहराना है

हमीरपुर। बुंदेलखंड का प्रवेश द्वार कहे जाने वाले हमीरपुर की सदर विधानसभा सीट में सियासी तापमान इन दिनों चरम पर है। गली, नुक्कड़ और चौराहों पर “चुनावी बतकही” बेहिसाब चल रही हैं। यहां पर भारतीय जनता पार्टी व समाजवादी पार्टी ने जिन उम्मीदवारों की घोषणा की है, उससे यहां पर पूर्व विधायक अशोक चंदेल की पत्नी राजकुमारी सिंह के जरिए कांग्रेस को “संजीवनी” मिलती दिखाई दे रही है। राजकुमारी सिंह कांग्रेस के सिंबल से चुनावी मैदान में हैं और उनकी दस्तक से मुकाबला त्रिकोणीय हो गया है।

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सदर विधानसभा सीट पर वैसे तो सपा व भाजपा में सीधी टक्कर है। लेकिन सपा द्वारा पार्टी के लिए पांच साल संघर्ष करने वालों को दरकिनार कर रामप्रकाश प्रजापति के रूप में नए चेहरे पर दांव लगाने से जहां सपा कार्यकर्ताओं में भारी असंतोष है। वहीं भाजपा ने चौंकाने वाला फैसला लेते हुए सपा से टिकट के प्रबल दावेदार रहे मनोज प्रजापति को ही मैदान में उतार दिया है। ऐसे में सपा और भाजपा दोनों पार्टियों के खेमे के कार्यकर्ताओं में अंदर ही अंदर भारी असंतोष व्याप्त है। जिसका सीधी फायदा कांग्रेस की राजकुमारी को मिलता दिख रहा है।

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विकास से अछूते रहे बुंदेलखंड में चुनाव के वक्त विकास से कहीं ज्यादा जातिवाद हावी रहता है। यही वजह है कि कहने को तो सपा और भाजपा में सीधी टक्कर है, लेकिन सपा और भाजपा दोनों के प्रत्याशी प्रजापति समाज से आते हैं। जिससे प्रजापति समाज का वोट सपा और भाजपा में बंटने की उम्मीद है। भाजपा से टिकट मिलने के तीन दिन पहले तक कट्टïर सपाई रहे मनोज प्रजापति को आम भाजपाई कार्यकर्ता अभी तक “हजम” नहीं कर पा रहा है और वे इन रूठे जमीनी कार्यकर्ताओं को मनाने में अभी तक नाकामयाब भी रहे हैं। कुछ ऐसा ही हाल सपा के टिकट से मैदान में उतरे रामप्रकाश प्रजापति का भी है।

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ऐसे में अब मुस्लिम समाज मंथन पर मजबूर हो गया है। यही वजह है कि क्षत्रिय समेत तमाम बिरादरियों पर खासा पकड़ रखने वाले अशोक चंदेल की पत्नी के सहारे यहां पर कांग्रेस “अंगडाई” लेती दिख रही है। मुस्लिमों का एक तबका भी उन्हें जीत का मजबूत दावेदार मान रहा है। ऐसे में यहां दिलचस्प लड़ाई देखने को मिल रही है। सदर विधानसभा सीट पर किसकी विजय पताका लहराएगी इस पर से पर्दा तो 10 मार्च को उठ पाएगा। लेकिन समीकरणों ने बुंदेलखंड में पूरी तरह से मृत पड़ी कांग्रेस के लिए उम्मीद की किरण जरूर जगा दी है।