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लखनऊ, 2 जून। फिक्की फ्लो के लखनऊ चैप्टर ने आज “रॉयल वीमेन: परंपरा और आधुनिकता के बीच की पतली रेखा पर चलना” नामक एक ऑनलाइन संवाद कार्यक्रम का आयोजन किया। जिसमें मुख्य वक्ता के रूप में बड़ोदरा राजघराने की महारानी राधिका राजे गायकवाड उपस्थित थी।

​​महारानी राधिकाराजे गायकवाड़ भारत में सबसे कुशल और प्रगतिशील रॉयल महिलाओं में से एक हैं। गुजरात के वांकानेर के राजघराने में जन्मी राधिकाराजे ने अपनी प्रारंभिक शिक्षा दिल्ली और बाद में मेयो कॉलेज अजमेर से पूरी की। विरासत और संस्कृति के प्रति उत्सुक छात्रा के रूप में उन्होंने प्रतिष्ठित लेडी श्रीराम कॉलेज से इतिहास में स्नातक किया और दिल्ली विश्वविद्यालय से मध्यकालीन भारतीय इतिहास में स्नातकोत्तर की उपाधि प्राप्त की। समधीजितसिंह गायकवाड़ से शादी करने और बड़ौदा जाने से पहले राधिकाराजे ने इंडियन एक्सप्रेस में एक पत्रकार के रूप में काम किया।

वर्तमान में वह महारानी शांतिदेवी अस्पताल ट्रस्ट, महारानी चिम्नाबाई स्त्री उद्योग समिति जो कि निम्न आय वाले परिवारों की सेवा करने और समर्थन करने वाली दोनों संस्थाएँ और महाराजा फतहसीनगर म्यूज़ियम ट्रस्ट आदिअन्य कई ट्रस्ट जो कि बड़ोदरा राजघराने के द्वारा संचालित हैं में सक्रिय रूप से शामिल हैं। हेरिटेज टेक्सटाइल्स में बहुत दिलचस्पी होने के कारण, राधिकाराजे चंदेरी की विलुप्त हुई पुरानी बुनाई तकनीकों को पुनर्जीवित करने के लिए अपनी सास राजमाता शुभांग्निराज गायकवाड़ के साथ मिलकर काम करती हैं। राधिकाराजे और समरजीतसिंह की दो बेटियां हैं, पद्मराजाराजे 13 वर्ष और नारायणीराज 11 वर्ष।

कार्यक्रम को संबोधित करते हुए महारानी राधिका राजे ने फिक्की फ्लो की तारीफ करते हुए कहां की यह संगठन महिला सशक्तिकरण की दिशा में कार्य करने का श्रेष्ठ मंच है जहां इसकी सदस्य महिला उत्थान के लिए एवं उनके सशक्तिकरण के लिए निरंतर कार्य कर रही हैं।
उन्होंने कहा कि आज के आधुनिक युग में परंपरा का निर्वहन करना एक कठिन कार्य है आज की आधुनिक शैली को अपनाते हुए परंपरा का निर्वहन करना ही हमारा लक्ष्य होना चाहिए तभी हम अपनी संस्कृति को बचा सकते हैं। राजनीति में आने के सवाल पर उन्होंने कहा कि राजनीति का मूल उद्देश्य सेवा है और हम विभिन्न माध्यमों से समाज की सेवा कर रहे हैं इसलिए मुझे राजनीति में आने की आवश्यकता महसूस नहीं होती। उन्होंने यह भी कहा कि जल्द ही वह राजघराने के अनछुए पहलुओं पर एक किताब लिखेंगी, जिसमें बड़ोदरा राजघराने का इतिहास और उसके अनछुए पहलुओं का विस्तार से वर्णन होगा।

कार्यक्रम की संचालक सीमू घई के साथ बातचीत में महारानी, ​​राधिकाराजे गायकवाड़ ने अपने शुरुआती जीवन, बड़ौदा के प्रतिष्ठित शाही परिवार में उनके विवाह और अपने काम के बारे में कई किस्से साझा किए। उन्होंने फ्लो सदस्यों को, अपने आकर्षक जीवन की एक अनकही झलक दी।

उन्होंने इस बात पर भी चर्चा की कि बदलते समय ने कैसे उन्हें अपनी विरासत के संरक्षण में अधिक सक्रिय भूमिका निभाने के लिए प्रेरित किया, चाहे वह शाही आभूषण हो या उनका पैतृक घर हो या विरासत की चंदेरी वस्त्रों की बुनाई की कला को संरक्षित करना।

इस कार्यक्रम को संबोधित करते हुए, फिक्की फ्लो लखनऊ की अध्यक्षा पूजा गर्ग ने कहा, “आज हमारे बीच में उनके जैसे गतिशील और करिश्माई व्यक्ति की मेजबानी करना एक सम्मान था। समय बदल गया है जिस तरह से आधुनिक युग में शाही महिलाओं को माना जाता है। यह बदलाव मुख्य रूप से इस तथ्य के कारण है कि ये महिलाएं अब अपने घर से बाहर आ रही हैं और पुनरुत्थानवाद, राजनीति और सामाजिक सेवा जैसे विभिन्न क्षेत्रों में एक प्रमुख भूमिका निभा रही हैं और अपनी शक्ति और विशेषाधिकार का उपयोग कर सकारात्मक सोच ला रही हैं और समाज में स्थायी परिवर्तन की दिशा में अपना अमूल्य योगदान दे रही हैं।

इस कार्यक्रम में देश के सभी 17 फ्लो चैप्टर की सदस्यों ने भाग लिया और महारानी के साथ सवाल जवाब कार्यक्रम में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई।