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Rajendra Kumar

सूबे की योगी सरकार की नौकरशाही पर बीते दिनों बीजेपी के हरदोई से सांसद जयप्रकाश ने निशाना साधा। उन्होंने सोशल मीडिया पर वेंटिलेटर खरीदने के लिए दी गई सांसद निधि के मुद्दे पर बेबसी जतायी। हुआ यह कि सांसद जयप्रकाश जी ने कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए अपनी निधि से वेंटिलेटर खरीद के लिए 25 लाख रुपए दिए थे। वहीं वेंटिलेटर की समस्या को लेकर सांसद के एक फेसबुक यूजर समर्थक प्रियम मिश्रा ने अपनी फेसबुक पोस्ट पर सांसद और विधायक निधि से वेंटिलेटर खरीद का मामला उठाते हुए लिखा था कि जो पैसा सांसद और विधायकों ने अपनी निधि से दिया, उससे अगर हरदोई जिला चिकित्सालय में एक वेंटिलेटर मशीन लग जाए तो लोगों को कोरोना के बाद राहत मिलेगी।

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उसके इसी पोस्ट पर गोपामऊ से बीजेपी के विधायक श्याम प्रकाश ने कमेंट करते हुए लिखा, ‘सब कमीशन खोरी की भेंट चढ़ गया है।’ विधायक के कमेंट के बाद बीजेपी के सांसद जयप्रकाश ने भी कमेंट करते हुए लिखा, ‘मैंने अपनी निधि इस शर्त पर दी थी कि वेंटिलेटर खरीदा जाए, लेकिन ऐसा हुआ नहीं, निधि कहां गई पता नहीं। हमने अपने 30 साल के कार्यकाल में ऐसी बेबसी कभी महसूस नहीं की। जय प्रकाश के इस कथन से सूबे के आला नौकरशाह सकते में आ गए।

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सांसद साहब को खोज कर समझाया गया। तो उन्होंने एक प्रेसनोट जारी कर सफाई दी कि उनके लिखे का मतलब स्थानीय स्तर पर सरकार तथा मुख्यमंत्री जी की मंशानुरूप कार्य कर नही रहे कुछ अधिकारियों को लेकर था। इस महामारी में जिला स्तर पर स्वास्थ्य विभाग में जो अव्यवस्था हुई उसे लेकर मेरी टिप्पणी थी। अब सांसद जय प्रकाश की इस टिप्पणी को लेकर कहा जा रहा है कि सांसद साहब हरदोई गए थे और वही उन्होंने विवादित टिप्पणी कर दी थी। स्थानदोष के चलते उनसे यह गलती हुई और जैसे ही वह वापस लखनऊ आये उन्होंने श्रवण कुमार की तरह अपनी गलती सुधार ली।

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हरदोई को लेकर एक कथा है कि जब श्रवण कुमार अपने माता-पिता को एक कांवर में उठाकर तीर्थाटन कराते हुए हरदोई पहुंचे थे। तब हरदोई की मिट्टी का उन पर असर हुआ। वह अपने माता-पिता पर ही आगबबूला हो गए। श्रवण की गुस्से भरी आवाज को सुनकर उनके पिता को यह अहसास हुआ कि उनका पुत्र स्थानदोष का शिकार हो रहा है, उन्होंने फ़ौरन कांवर उठा कर शहर से बाहर चलने को कहा। और जैसे ही श्रवण कुमार हरदोई के बाहर आये वह फिर पहले की तरह पितृ भक्ति में लीन हो गए। ठीक उसी तरह से सांसद जय प्रकाश ने भी हरदोई से लखनऊ आते ही अपनी गलती सुधार ली। उनके प्रेसनोट को लेकर अब यही चर्चा नेता लोगों के बीच हो रही है।