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रोहतास. आधुनिकता और भागदौड़ के इस युग में जहां इंसान अनेक तरह की बीमारियों और फिटनेस की समस्या से जूझ रहे हैं, वहीं बिहार के एक वकील 100 साल की उम्र में भी पूरी गर्मजोशी के साथ वकालत कर रहे हैं. वह रोजाना अदालत जाते हैं और जजों के सामने जिरह करते हैं, जिरह भी ऐसी की विरोधियों के पसीने छूट जाए. 13 नवंबर को 100 साल की आयु पूरी करने वाले हरिनारायण सिंह शायद ऐसा करने वाले देश के पहले अधिवक्ता हैं.

13 नवंबर को मनाया 100 वां जन्मदिन

रोहतास जिला के तिलई गांव के निवासी हरिनारायण सिंह सासाराम सिविल कोर्ट में प्रैक्टिस करने वाले सबसे सीनियर अधिवक्ता हैं. वह 13 नवंबर को 100 साल के हो गए, लेकिन आज भी वह कोर्ट की सीढ़ियां खटाखट चढ़ते हैं. इतना ही नहीं कोर्ट में केस की पैरवी भी पूरे खनकदार आवाज के साथ करते हैं. उनकी इस उम्र में भी ऊर्जा को देखकर युवा अधिवक्ता दंग रह जाते हैं. हरिनारायण सिंह के नाती-पोतों ने जब उनकी शताब्दी जन्मदिन मनाया तो अचानक से वह सुर्खियों में आ गए.

67 साल से कर रहे हैं वकालत

हरिनारायण सिंह का जन्म 1919 में 13 नवंबर को तब के शाहाबाद जिला में तिलई गांव में हुआ था. वह किसान परिवार से हैं. साल 1948 में ग्रेजुएशन करने के बाद उन्होंने कोलकाता विश्वविद्यालय से लॉ की डिग्री हासिल की तथा फिर बिहार लौट आए. उन्होंने बार काउंसिल ऑफ इंडिया की पटना शाखा में अपना रजिस्ट्रेशन कराया और फिर साल 1952 से प्रैक्टिस शुरू कर दी. सबसे बड़ी बात है कि पिछले 67 साल से वह लगातार प्रैक्टिस कर रहे हैं. वह सैकड़ों मुकदमें लड़ चुके हैं.

कानूनी उलटफेर का लंबा अनुभव

साल 1950 में भारत के संविधान निर्माण से लेकर आज तक के कानूनी उलटफेर को उन्होंने देखा है. जीवन के 100 बसंत देख चुके हरिनारायण सिंह ने बताया कि उनके सीनियर रामनरेश सिंह थे जो उनसे उम्र में महज 2 साल बड़े थे, लेकिन उस दौर में सीनियर की काफी इज्जत हुआ करती थी. देश के सारे बड़े नेता वकील ही हुआ करते थे. यही कारण है कि उन्होंने मैट्रिक के बाद से ही सोच लिया था कि उन्हें वकालत करनी है, क्योंकि उस दौर में महात्मा गांधी से लेकर डॉक्टर भीमराव अंबेडकर तक बड़े-बड़े कानून के जानकार देश में शीर्ष पर थे.

वरिष्ठ अधिवक्ता हरिनारायण सिंह आज भी नियमित रूप से कोर्ट आते हैं. केसों को उसी मुस्तैदी से निपटाते हैं, जैसे वर्षों पहले से निपटाते आ रहे हैं. आज उनके अधीनस्थ दर्जनों अधिवक्ता हैं जो उनके साथ रहकर कानून की बारीकियों को सीखते हैं. उनके कई जूनियर आज देश के विभिन्न न्यायालयों में अपनी सेवा दे रहे हैं. हरिनारायण सिंह बताते हैं कि वे अपने सीनियर रामनरेश सिंह से जो कुछ भी सीखा.

आदर्श जीवन शैली

हरिनारायण सिंह अपने खान-पान पर विशेष ध्यान देते हैं. हरी सब्जियां बिना मसाले के खाते हैं साथ ही भोजन में नियमित रूप से फलों को भी शामिल करते हैं. सुबह तथा शाम में टहलना उनकी शगल है. शाम में जल्दी खाना खाकर सो जाना तथा सुबह घर में सबसे पहले जगना, उनकी दिनचर्या में शामिल है. समय पर पूजा-पाठ के अलावे गौ सेवा के भी वह प्रेमी हैं. वह नियमित रूप से गायों को चारा देते हैं, उसे पानी पिलाते हैं. इतना ही नहीं धान तथा गेहूं के खेती के मौसम में खेतों की भी देखरेख भी करते हैं. सासाराम शहर में उनका आवास होते हुए वे ज्यादातर अपने गांव में रहना ही पसंद करते हैं।

संयुक्त परिवार से मिलती है शक्ति

हरिनारायण सिंह का संयुक्त परिवार हैं. आज उनके परिवार में 40 से अधिक सदस्य हैं. ज्यादातर युवा पीढ़ी के लोग देश और दुनिया के अलग-अलग शहरों में रहते हैं, लेकिन आज भी गांव में जितने भी परिवार के सदस्य हैं, एक ही चूल्हे का बना खाना खाते हैं. संयुक्त परिवार के मुखिया होने के नाते भी उनकी जवाबदेही अधिक है. वह कहते हैं कि जिम्मेदारियां इंसान को मजबूत बनाती हैं और शायद उनके लंबी उम्र की यही कुंजी है.

राजनीति में हैं पुत्र

जदयू के वरिष्ठ नेता और पूर्व विधान पार्षद कृष्ण कुमार सिंह हरिनारायण सिंह के पुत्र हैं. राजनीतिक गलियारों में उनके पुत्र की अच्छी खासी पकड़ है. सीएम नीतीश कुमार भी उनके आवास पर आते-जाते रहते हैं, लेकिन हरि नारायण सिंह जी राजनीति में कभी दखलंदाजी कभी नहीं रही. वह कहते हैं कि मैं मूल रूप से अधिवक्ता हूं, लेकिन जितनी देर घर पर रहता हूं किसान हूं.

पोता-पोतियों के आईकन हैं हरिनारायण सिंह

हरिनारायण सिंह के पोता चुन्नू सिंह, अभिषेक उर्फ सोनू सिंह कहते हैं कि उनके दादा उनके प्रेरणास्रोत हैं. उन्हीं के आशीर्वाद से उनका परिवार फल-फूल रहा है. आज भी उनके दादा उन्हें बच्चों की तरह पुचकारते हैं, लेकिन गलती करने पर जबर्दस्त डांट भी पड़ती है. उनकी जीवन शैली हम सबके लिए आदर्श है.