मुंबई। महाराष्ट्र में सियासी घमासान जारी है इसी बीच अब एकनाथ शिंदे यानि असली शिवसेना के नाम से बैठकों का दौर शुरू भी हो गया है। महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री एकनाथ शिंदे ने ‘शिवसेना’ और ‘तीर-कमान’ मिलने के बाद मंगलवार को पहली राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक बुलाई। खास बात है कि इस दौरान विनायक दामोदर सावरकर को भारत रत्न दने समेत कई प्रस्ताव रखे गए। फिलहाल, भारत निर्वाचन आयोग के फैसले के खिलाफ दायर याचिका पर बुधवार को सुनवाई होनी है।
जानकारी के लिए बता दें कि मंगलवार को हुई राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक की अगुवाई सीएम शिंदे ने की। सावरकर को भारत रत्न देने के आलावा बैठक में चर्चगेट रेलवे स्टेशन का नाम पूर्व केंद्रीय वित्त मंत्री चिंतामनराव देशमुख के नाम पर रखने का प्रस्ताव दिया गया है। खास बात है कि शिंदे समूह ने साफ कर दिया है कि उन्हें शिवसेना भवन या उद्धव ठाकरे के गुट से जुड़ी कोई भी संपत्ति नहीं चाहिए।
बैठक के दौरान पेश किए गए प्रस्तावों में भूमिपुत्रों को 80 फीसदी रोजगार, सभी प्रोजेक्ट्स में स्थानीय युवाओं को 80 प्रतिशत रोजगार, मराठी को अभिजात वर्ग की भाषा का दर्जा, UPSC और MPSC के मराठी छात्रों को सहयोग जैसी बातें भी शामिल रहीं।
शिंदे की अगुवाई वाले शिवसेना धड़े की राष्ट्रीय कार्यकारिणी की बैठक से पहले इस गुट ने मीडिया से उसे ‘शिंदे धड़ा’ कहने की बजाया शिवसेना कहने का आह्वान किया है। पिछले सप्ताह निर्वाचन आयोग ने उद्धव ठाकरे गुट के साथ चल रहे विवाद के सिलसिले में शिंदे गुट को असली शिवसेना की मान्यता दी थी और उसे पार्टी का चुनाव निशाना ‘तीर-धनुष’ आवंटित किया था।
मीडिया घरानों से इस आशय का अनुरोध करते हुए पार्टी सचिव संजय भौराव मोरे द्वारा एक पत्र जारी किया गया है। पत्र में कहा गया है, ‘निर्वाचन आयोग के आदेश के अनुसार शिंदे गुट कहने के बजाय उसे शिवसेना कहा जाना चाहिए।