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नई दिल्ली। महाराष्ट्र के डिप्टी सीएम अजित पवार को 70,000 करोड़ के सिंचाई घोटाले से जुड़े मामले में एंटी करप्शन ब्यूरो (एसीबी) ने क्लीन चिट दे दी है। एसीबी की ओर से इसको लेकर जानकारी दी गई है, जिसमें बताया गया है कि मामले की फाइल सोमवार को बंद कर दी गई है। इसमें अजित पवार इस मामले में किसी तरह से शामिल नहीं पाए गए हैं, उन्हें क्लीन चिट दी जा रही है। शनिवार को ही पवार ने अपने चाचा शरद पवार से बगावत करते हुए भाजपा को समर्थन दिया है।

नसीपी-कांग्रेस सरकार के दौरान घोटाले का लगा आरोप

दूसरी बार महाराष्ट्र के सीएम बने अजित पवार पर भ्रष्टाचार से जुड़े कई केस चल रह हैं। इन्हीं में से एक सिंचाई घोटाले का मामला है। ये घोटाला 70 हजार करोड़ को बताया जाता है, जो कथित तौर पर राजनेताओें और नौकरशाहों की मिलीभगत से 1999 से 2009 के बीच हुआ। महाराष्ट्र में 1999 से 2014 के दौरान कांग्रेस-राकांपा गठबंधन सरकार में सिंचाई विभाग का अजित पवार के पास था, ऐस में उनका नाम इस घोटाले में आया था।

मामले पर अजित को घेरती रही थी भाजपा

सिंचाई घोटाले को लेकर भाजपा लगातार अजित पवार पर हमलावर रही थी। चुनाव प्रचार में फडणवीस ने तो अजित को जेल भेजने की भी बात कही थी। बॉम्बे हाईकोर्ट में अभी भी ये मामले चल रहा था। 28 नवंबर 2018 को महाराष्ट्र एंटी करप्शन ब्यूरो ने अजित पवार को 70 हजार करोड़ के कथित सिंचाई घोटाले में आरोपी ठहराया था।

डिप्टी सीएम बनते ही क्लीन चिट

महाराष्ट्र की सियासत में शनिवार सुबह नाटकीय घटनाक्रम देखने को मिला। भाजपा के देवेंद्र फडणवीस ने सीएम और एनसीपी के अजित पवार ने डिप्टी सीएम पद की शपथ ले ली। अजित पवार ने एनसीपी के विधायकों का समर्थन होने की बात कही लेकिन पार्टी प्रमुख शरद पवार ने इसको पूरी तरह खारिज कर उनको पार्टी से निकालने तक की बात कह दी है। अजित, एनसीपी प्रमुख शरद पवार के भतीजे हैं लेकिन वो चाचा के खिलाफ चले गए हैं। दो दिन बाद उन्हें क्लीन चिट मिल गई।