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Ravindra Kishore Sinha

इमरान खान के पाकिस्तान को भारत से बार-बार मार-खाने की आदत सी पड़ गई है। अब भारतीय फौजें पाकिस्तानियों को उसके घर में घुसकर मारती है। वह तो अब जूते खाने का आदी हो चुका है। भोजपुरी में लत खाने के अभ्यस्त व्यक्तियों को “लतखोर” कहा जाता है I उसे जितने जूते मारे जाएं वह कम ही हैं। वह पड़ोसी के नाम पर कलंक है। उसकी ताजा  हिमाकत पर तो भारतीय फौजों ने  तोपों का मुंह एलओसी के उस पार मोड़ भर दिया । नतीजा यह हुआ कि करीब दो दर्जन आतंकियों समेत आधा दर्जन पाकिस्तानी सैनिक तत्काल ढेर हो गए।

यह नए भारत का आक्रामक चेहरा है। बुद्ध और गांधी के आदर्शों  को मानने वाला भारत अब दुश्मन की गर्दन में अंगूठा देने के लिए भी तैयार है। अब भारत का धैर्य भी तो जवाब दे चुका है। भारत अब पाकिस्तान को तो किसी भी तरह की रियायत देने के लिए तैयार नहीं है। भारत की रक्षानीति में बदलाव का यह सिलसिला 2016 से चल रहा है। भारत ने उरी में आतंकी हमले के बाद सर्जिकल स्ट्राइक किया, फिर दुबारा भारत को फरवरी 2019 में पुलवामा हमले के बाद  वायुसेना द्वारा एयर स्ट्राइक  करना पड़ा । भारत ने ताजा हमले  में  तोपों से ही हमला बोला। क्योंकि, दुश्मन सामने ही दिख रहे थे I पाक सेना आतंकियों को भारतीय सीमा में घुसाने की जुगत कर रही थी I यानी 2016 के बाद भारत ने तीसरी बार पाकिस्तान की कमर तोड़ दी है।

दरअसल पाकिस्तान की सेना के चीफ कमर जावेद बाजवा के इशारों पर  जब उनकी सेना ने  विगत शनिवार को दुर्दान्त आतंकियों की घुसपैठ करवाने के  इरादे से कवर फायरिंग शुरू की तो उसने ख्वाबों में भी नहीं सोचा था कि इस बार भारत का जवाबी प्रहार तत्काल और इतना करारा होगा।  हालांकि इस हमले के बाद कुछ मीडिया और राजनीति के जयचंद कहते हुए मिले कि सेना ने हरियाणा और महाराष्ट्र चुनावों के मद्देनजर हमला किया। अरे भाई, यह क्यों नहीं कहते कि दर्जनों आतंकी घुसपैठ करके आतंक का तांडव करते तब किसका फायदा होता?

अगर आप सेना की उपर्युक्त  कार्रवाई पर मेरी राय को जानना चाहते हैं तो मैं  इतना ही कहूंगा कि ऐसे चुनाव रोज आएं ताकि पाकिस्तान जैसे  धूर्त पड़ोसी को सबक सिखाया जाता रहे। जरा याद करें 2008 के मुंबई हमले को।  उस हमले ने भारत के आत्म सम्मान को गहरा आघात पहुंचाया था। फिर भी भारत सिर झुकाकर चुप्पी साधे रहा था। पर 2008 और 2019 में अब बहुत अंतर आ  चुका है। अब भारत की आतंकवाद के खिलाफ जीरो टोलरेंस की नीति दुनिया सामने हैं।  जम्मू-कश्मीर से आर्टिकल 370 हटाए जाने के बाद पाकिस्तान के दुष्प्रचार को दुनिया भर में भाव न मिलने के बाद भारतीय विदेश नीति का कूटनीति और रणनीति के स्तर पर और अधिक आक्रामक होना स्वाभाविक भी  है। इसका सारे देश को एक स्वर से स्वागत करना चाहिए और जो ऐसा न करे ऐसे राष्ट्रद्रोहियों का सामाजिक तिरस्कार भी होना चाहिए ।

आप जरा नोट करें कि पाकिस्तान पर भारतीय सेना की ताजा स्ट्राइक कितनी मारक थी कि वह तब से कराह ही रहा है। उसने अपने नुकसान की बात को तो धीरे से माना है। चलो इतना सच बोलना तो उसने सीखा। यह वही पाकिस्तान है जो मुंबई हमले में पाकिस्तानी आंतकियों के तार जुड़ने तक से इंकार कर रहा था। पर, पाकिस्तान ने  सर्जिकल स्ट्राइक और फिर एयर स्ट्राइक में आतंकी कैंपों के तबाह होने या अपनी सेना को नुकसान की बात नहीं मानी थी। अब तो वह यह मान रहा है कि  भारतीय फौज  के एक्शन में उसे तगड़ा नुकसान हुआ है। हालांकि वह पूरा सच अब भी नहीं बता रहा। दरअसल भारतीय सेना के जवानों द्वारा किया  गया  जवाबी हमला इतना करारा था कि पूरे पाकिस्तान में अब हड़कंप मच गया है। लेकिन पाक सेना सारे नुकसान की जानकारी नहीं दे रहा है। पाक सेना के  प्रवक्ता आसिफ गफूर  की ओर से लगातार दावा किया जा रहा है कि भारत जिन आतंकी कैंपों को तबाह करने की बात कर रहा है, वह गलत है। उनका इस तरह के दावे करना लाजिमी है। वे यह तो नहीं कहेंगे कि हमारी कमर ही टूट गई है। गफूर के झूठ का साथ वहां का मीडिया भी दे रहा है। हालत यह है कि पाक मीडिया कुछ साल पहले भारत में हुए नक्सल हमले की एक फोटो  को यह कह कर पेश करता रहा कि पाकिस्तानी सेना के एक्शन में कई भारतीय जवान मारे गए हैं।  पर, पाकिस्तान के  झूठे दावों की हवा सोशल मीडिया ने ही निकाल दी थी।

कुल मिलाकर आप यह तो कह ही सकते हैं यह भारतीय फौज का नया और असली वीरतापूर्ण चेहरा है। याद करें 29 सितंबर 2016 की रात को  हुए सर्जिकल स्ट्राइक की। तब हमारे शूरवीरों ने पाकिस्तान में 83 किलोमीटर अन्दर घुसकर आतंकी ठिकानों को पूरी तरह तबाह किया था। उसके बाद हमने पुलवामा  हमले के बाद उसे करारा सबक  सिखाया था। पुलवामा के हमले में सीआरपीएफ के 40 जवानों की मौत के कारण  भारत में पाकिस्तान के खिलाफ जबरदस्त गुस्सा स्वाभाविक ही था। सारा भारत पाकिस्तान से बदला लेने की मांग कर रहा था। तब हमने उसे घर में घुसकर मारा।

इस बीच, पहली सर्जिकल स्ट्राइक पर भारतीय सेना की क्षमता पर सवाल खड़ा करने वालों को देश ने पिछले लोकसभा चुनावों में  करारी शिकस्त दी थी। उसके बाद से अब भारतीय फौज के एक्शन पर कम से कम कोई राजनीतिक दल तो सवाल खड़े करने की हिम्मत नहीं करता। सबको समझ  आ गया कि देश की सुरक्षा के सवाल पर सबको एक साथ खड़े होना ही होगा। पहले सर्जिकल स्ट्राइस पर कांग्रेस के बहुत से नेताओं से लेकर ममता बनर्जी और अरविंद  केजरीवाल सवालिया निशान लगा रहे थे। अब तो जनता ने ही सबकों शांत कर दिया था ।

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भारतीय फौज के इतिहास में  29 सितंबर, 2016 को सदैव याद रखा जाएगा। उस दिन भारतीय फौज ने पाकिस्तान में चल रहे  आतंकी कैंपों को पूरी तरह तबाह कर दिया था। हमारी फौजों ने उस दिन पाक अधिकृत कश्मीर में घुस गई थी। वहां पर उसने आतंकी शिविरों पर सर्जिकल स्ट्राइक की थी।  भारत ने एक बार फिर से  पाकिस्तान को कड़ा संदेश दे दिया कि जब गड़बड़ करोगे, तबही बिना देरी किये मार पड़ेगी। अब माफी नहीं मिलेगी। भारत के इस तीसरे सर्जिकल स्ट्राइक पर मलेशिया और तुर्की की भी प्रतिक्रिया का इंतजार है। ये दोनों मुल्क कश्मीर से धाऱा 370 को हटाने के बाद से ही पाकिस्तान के साथ खड़े नजर आए थे। अब देखना होगा कि भारत के ताजा हमले से यह दोनों कितना समझ पाते हैं।