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भारतीय प्रशासनिक सेवा में क्‍लास वन ऑफिसर यानी कि IAS बनने के लिए सिविल सर्विस एग्‍जाम क्लियर करना होता है। UPSC (यूनियन पब्लिक सर्विस कमीशन) हर साल इस एग्‍जाम को कंडक्‍ट करती है। हर साल लाखों उम्‍मीदवार इस एग्‍जाम में बैठते हैं, लेकिन सिर्फ कुछ लोगों का ही फाइनल सेलेक्‍शन होता है. ऐसे बहुत कम लोग होते हैं जो खुद को समाज के लिए समर्पित कर दें, खास तौर पर तब जब कोई प्रशासनिक सेवा में हो।

प्रशासनिक सेवा में रहने के कारण लोगों को बहुत कम समय मिल पाता है कि वो अपने परिवार को समय दे सकें. हमारे देश के कितने ही ऐसे बहादुर ऑफिसर होंगें जिन्होंने देश के लिए ऐसा काम किया की देश को उनपर गर्व होगा। ठीक इसी तरह आज हम आपको ऐसे ही IAS ऑफिसर से मिलाने जा रहे हैं।

जी हाँ आज हम उस IAS ऑफिसर के बारे में आपको बता रहे हैं जो हर रात अंधेरे में होटलों के बाहर जाकर वहां फेंका हुआ खाना बटोरता है। अब आप ऐसी बात सुनकर हैरान रह गए होंगे कि भला एक IAS अफसर ऐसा काम कैसे कर सकता है। तो हम आको बता दें कि यह अफसर हम सभी की सोच से बहुत ही अलग है क्योंकि यह अफसर जो भी खाना होटलों के बाहर से उठाता है उसे वो सड़क पर घूमने वाले जानवर गाय और बेसहारा कुत्तों समेत कई अन्य जानवरों को खिला देता है।

आपको बता दें कि यह IAS अफसर कहीं और का नहीं बल्कि फरीदाबाद का है, जहाँ हरियाणा पुरातत्व विभाग के डायरेक्टर IAS प्रवीन कुमार अकसर रात के अंधेरे में होटलों के बाहर बचा हुआ खाना उठाते हैं। यह सिलसिला अभी पिछले 5 दिनों से ही शुरू हुआ है। प्रवीन कुमार दिन में तो साहब बनकर पूरे जिले का ब्यौरा करते हैं और फिर रात में जगह जगह बर्बाद हो रहे अन्न को बटोरते हैं ताकि बेसहारा व बेजुबान जानवरों के पेट में भोजन जा सके।

ऐसे में आप यही सोचते होंगे कि ऐसा करना आसान नहीं है और कोई भी इसे अकेले के बल पर नहीं कर सकता तो IAS साहब ज़रूर अपने स्टाफ को साथ ले जाते होंगे कि ताकि इस मुहीम में वे लोग भी उनका साथ दें, लेकिन हम आपको बता दें कि ऐसा बिलकुल भी नहीं है बल्कि इस काम के दौरान वे अपने साथ कोई भी सरकारी स्टॉफ या सुरक्षा गार्ड नहीं रखते हैं बल्कि वे खुद अकेले ही निकल पड़ते हैं। जानकारी के लिए आपको बता दें कि IAS प्रवीन कुमार फरीदाबाद के जिला उपायुक्त और नगर निगम गुड़गांव के कमिश्नर भी रह चुके हैं।

जब मीडिया ने पूछा क्यों करते हैं ऐसा काम ?

IAS प्रवीन कुमार से जब यह पूछा गया कि वे ऐसा काम क्यों करते हैं उन्होंने बताया कि एक दिन वे सूरजकुंड निजी होटल में गये हुए थे और वहीँ उन्होंने देखा था कि वहां बहुत सारा खाना कूड़ेदान में पड़ा हुआ था, जिसे देखकर उनके मन में ये ख्याल आया कि ये खाना तो उन जानवरों की भी भूख मिटा सकता है जिनकी भूख के ही कारण सड़कों पर ही मौत हो जाती है।